'समकालीन अभिव्यक्ति' एक साहित्यिक आंदोलन है | साहित्यिक चेतना से जुड़े हर वर्ग एवं विधा को लेकर एक सकारात्मक परिवेश बनाना इस पत्रिका का लक्ष्य है। हिंदी भाषा में आज साहित्यिक पत्रिकाओं का अभाव तो नहीं है, किंतु विमर्श एवं वाद के नाम पर परोसी जाने वाली सामग्री साहित्य के वास्तविक उदेश्य से कहीं न कहीं भटक जरूर चुकी है। आवश्यकता है कि उसमें सांस्कृतिक चेतना का भी पुट हो। 'समकालीन अभिव्यक्ति' इस कमी की भरपाई करने का प्रयास कर रही है। कल, आज और कल के लेखनकर्मियों को साथ लेकर चलती हुई 'समकालीन अभिव्यक्ति' ने 18 वर्षोँ का लंबा सफर तय किया है। इस अवधि में इसे विशुद्ध पाठकों का भरपूर समर्थन भी मिला है। यह आंदोलन सफल हो, इसके लिए आपसे जुड़ाव की अपेक्षा है |
नया अंक पढ़े1967 में गोरखपुर में जन्मे उपेन्द्र कुमार मिश्र हिंदी साहित्य में एम.ए. एवं बी.एड्. हैं। छात्र जीवन से ही साहित्य से गहरा जुड़ाव 'समकालीन अभिव्यक्ति' के प्रकाशन एवं संपादन तक खीच लाया |
1964 में आजमगढ़ में जन्मे हरिशंकर राढ़ी अंगरेजी साहित्य एवं संस्कृत में एम.ए. के साथ बी.एड् हैं। राढ़ी जी की रचनाएँ देश की अनेक साहित्यिक एवं व्यावसायिक पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होती हैं |